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Drug development and trials: Spare 2 minutes to know the whole process

If someone tells you today that the corona vaccine has been developed, then after a few days tells that all the clinical trials have been successful, then you will be confused as to what is going on and what is yet to happen. In order to come out of this puzzle, you need to devote just 2 minutes hre and know the whole process of drug development. Let's refresh   our basics before starting this discussion. Corona-borne disease ie Covid-19 is a viral disease. If it was a bacteria-borne disease, , like typhoid, cholera etc, the disease could be overcome by giving anti-biotic to the patients, killing the bacteria that entered their body. But the virus cannot be killed, so for   a viral disease such as as hepatitis B, smallpox, polio etc., what we can make is only a vaccine. The person who takes   the vaccine for a particular disease, if not yet affected with that disease, will not get affected with a that disease in future. disease has not happened yet, will not be further, s

कोरोना वैक्सीन कबतक उपलब्ध हो पाएगी ?

अगर आप से आज कोई   बोले कि कोरोना की वैक्सीन विकसित कर ली गयी है फिर कुछ दिन बाद बोले की सब क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा तो आप भ्रमित  हो जाएँगे की आखिर चल क्या रहा है और अभी और क्या क्या होना बाकी है . इसलिए आज २ मिनट खर्च कीजिये और जानिये दवा के विकास की पूरी प्रक्रिया को . इस चर्चा को शुरू करने के पहले बुनियादी बातें दुहरा लेते हैं. कोरोना- जनित रोग यानि कोविड-१९ एक वायरल   बीमारी है .यह अगर कोई बैक्टीरिया - जनित बीमारी होती तो मरीजों को एंटी - बायोटिक देकर ,उनके शरीर में घुसे बैक्टीरिया को मार कर, बीमारी को दूर किया जा सकता था, जैसा टाइफाइड, हैजा आदि में किया जाता है. पर वायरस को मारा नहीं   जा सकता है इसलिए वायरल बीमारियों का केवल टीका यानि वैक्सीन बनाया जा सकता है . वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति को, अगर वो बीमारी अभी तक नहीं हुई है ,तो आगे नहीं होगी , जैसे हेपेटाइटिस बी , चेचक,पोलियो आदि . वैक्सीन देने की प्रक्रिया को वैक्सिनेशन यानि टीका करण कहते है.इसके प्रभाव से शरीर में उस वायरस   के प्रति एक शक्ति( = प्रतिरोधक क्षमता = IMMUNITY) विकसित हो जाती है जिससे शरीर उस वायरस का प्रतिरो

अभिषेक बच्चन का डबिंग में संक्रमण क्या बताता है

डबिंग  की प्रक्रिया में कोराना फैलने के कई साधन बनते है. सबसे ज्यादा शक माइक पर होता है. एक स्टार की डबिंग के पहले कोई  माइक टेस्ट करने तो जरुर आता होगा .आप लोगों ने गेस्ट हाउस वाला जोक तो सुना होगा . एक मंत्रीजी को एक गेस्ट हाउस में रुकना था . जिस सुइट में रुकना था उसके टॉयलेट का फ्लश चलाकर खुद केयर टेकर ने चेक किया . फ्लश ठीक था. फिर SDO आया उसने पूछा सबकुछ ठीक है? केयर टेकर ने कहा यस सर ! SDO अन्दर गया और अपनी तसल्ली के लिए फ्लश चलाकर देखा . ठीक पाया . संतुष्ट हुआ. फिर Executive Engineer  खुद  आया .सुइट के दरवाजे बंद करके देखा . काल बेल बजाकर देखा . TV के चैनेल्स चेक किये . अंत में फ्लश भी चलाकर देखा .नेताजी के आने के ठीक पहले  उनकी पार्टी के विधायक आए . नेताजी के करीबी थे .सुइट में   जाकर नेताजी   के मनपसंद फल रखवाए . पान की व्यवस्था देखी . नहाने की चौकी और सरसों  का तेल तक देखा . अंत में तसल्ली के लिए फ्लश भी चला कर देख लिया . सबकुछ ठीक था . नेताजी का  आगमन हुआ . स्वागत ,चाय पानी और मेल मिलाप के बाद नेताजी अपने कमरे में आए . हाथ मुंह धोया . थोडा पेट भारी लग रहा था. थोडा टहले फिर ट

सन्डे से फ्राइडे मार्केट छोड़ो -कोरोना की चेन तोड़ो

कोरोना तभी फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति संक्रमण के बाद अपने संक्रमण से अनजान होकर बाहर घूमता है. ये काम वो लगभग 7 दिनों तक, करता है क्योकि उसके बाद उसके   लक्षण आते हैं, उसका टेस्ट होता है और वो    खुद अस्पताल पहुँच जाता है . अब अगर हर व्यक्ति, जिसे मालूम नहीं है कि   वो संक्रमित है या नहीं ,   सख्ती से लागू किये गए लॉक डाउन में   या आत्म - अनुशासन से   लगातार 7 दिनों तक भीड़ भाड़ से दूर रहे, तो वो अगर संक्रमित है भी तो दूसरों को संक्रमित करने के पहले खुद अस्पताल पहुँच जाएगा और कोरोना की चेन टूट जाएगी. ·          ये सुनने में आसान है ·          सोचने से कठिन है और ·          करने से संभव है . सरकार के   लॉक डाउन की बात नहीं करके , आइये हम बात करते हैं कि हम क्या ऐसा करें कि हफ्ते में एक बार से ज्यादा बाजार जाना ही न पड़े . लोग आदतन रोज बाज़ार जाते हैं और रोज   कुछ खरीद कर अपने बाजार जाने का औचित्य साबित करते हैं. पर अगर आप रोज रोज बाज़ार न जाकर हफ्ते में सिर्फ एक दिन बाज़ार जाएँ तो भी काम चल सकता है. दूध, सब्जी और पेपर लेन हरगिज न जाएँ. घर पहुचानेवाले हॉकर   से लें, ये अकेले