दिल्ली ने जीता दिल , लद्दाख़ की लात कोरोना गया हिल ( 4-11 जुलाई)
पिछले
7 दिनों में कोरोना ने खुलकर अपने चरित्र को उजागर कर दिया . उसने कह दिया कि मेरा
चरित्र भी वैसा ही है जैसा मेरे जन्मदाता चीन का है . जब मेरे कम होते एक्टिव केसों की संख्या देखकर आपको ऐसा लगता है कि मै
किसी राज्य से भाग रहा हूँ तो मैं वास्तव में पीछे हटकर आपके इत्मीनान और असावधान होने का इन्तजार
कर रहा होता हूँ.जैसे ही आप मास्क लगाना बंद करते हैं, शादी की पार्टियां शुरू
करते हैं , ट्रेनों-बसों में आना जाना और बाजारों में शाम बिताना शुरू
करते हैं ,मैं जाकर वापस आ जाता हूँ..मैं
चीन की तरह उतने ही दिन दूर रहूंगा जबतक आप सजक और सतर्क रहेंगे और मुझे धकेलते-धकियाते रहेंगे .
कोरोना
ने झूठ नहीं बोला . देखिये बिहार में क्या हुआ.पिछले सप्ताह कुछ जब एक्टिव केसेस
धीमे धीमे बढ़ने लगे तो लगा कि लोग इस दस्तक को सुनेंगे और सम्हल जाएँगे. पर जनता ने अपनी धुन में कोरोना के जाने का जश्न मनाना जारी रखा . शादी ब्याह की बारातें सजीं , बाहर से आना ,
मेल मिलाप सब कुछ दिल खोल के हुआ. नतीजा ये हुआ की पिछले सप्ताह कोरोना ,जो दबे
पाँव आ रहा था इस सप्ताह तेज चाल से आने लगा. 4 जुलाई के 2881 केस 9 जुलाई आते- आते 4077 हो
गए.
कोरोना
ने झूठ नहीं बोला . देखिये त्रिपुरा में क्या हुआ. जब 17 जून के 576
केसेस घट कर 27 जून को 260 पर आ गए तो लोग चैन की सांस लेने लगे .जब 4 जुलाई
को 355 केस हो गए तब भी इसे मामूली उतार - चढ़ाव मानकर अनदेखा
किया . नतीजा हुआ कि 11 जुलाई को यह संख्या 571 हो गयी और ग्राफ का मुंह अभी भी ऊपर की ओर ही है .
पर
ऐसी गलती हर राज्य में नहीं हुई. कोरोना को धकेलने और धकियाकर पीछे रखने के लिए कई राज्यों ने, अपने प्रयास, कोरोना के
मामले कम होने पर भी जारी रखे . उन जगहों
पर कोरोना को चीन की तरह पीछे हटाना पड़ा .मुम्बई में तो धारावी जैसी घनी बस्ती में
इसपर लगाम लगा कर दिखाया गया . यही सख्ती दिल्ली ने भी दिखाई तो कोरोना को आत्मसमर्पण करना पडा .
आइये
देखते है इस सप्ताह के विजयी राज्य कौन- कौन से रहे जिन्होंने कोरोना की नाक में
नकेल डालकर उसे विकास दुबे की तरह गिरफ्तार किया और चीन की तरह पीछे धकेला .
इस
बार हम लक्षद्वीप की
बात नहीं करेंगे क्योकि वहाँ शुरू से अभी तक कोई केस ही नहीं आया और कोविड 19 के सरकारी
वेबसाइट पर उसका नाम भी आना बंद हो गया . ये समझिये बिनाका गीतमाला के 20 बार बज चुके
गाने की तरह ये लक्षद्वीप सरताज हो गया.अब उसके चर्चा तभी होगी जब कोइ बुरी खबर आएगी .भगवान न करे .
पर 18 जून से 4 जुलाई तक लगातार 17 दिनों तक सुधरते जाने वाला मिजोरम अगला सरताज बनते-
बनते रह गया.इसके केस, जो 131 से घटते-घटते
34 पर आ गए थे, अब पिछले 7 दिनों में बढ़कर 77 पर पहुँच गए हैं. .नए संक्रमितों में दिल्ली, महाराष्ट्र और बंगाल से लौटे हुए इनके अपने लोग
हैं.
मिजोरम
का ग्राफ दिखा रहा है कि जितनी तेजी से नए केस आ रहे हैं पुराने लोग उतनी तेजी से
अस्पताल से नहीं निकल रहे. पर जैसा कि आप देख रहे है अधिकतर नए मरीज 5 जुलाई या
उसे बाद के हैं जिन्हें अभी अस्पताल में 14 दिन नहीं हुए हैं. अतः अगर अभी से भी अगर नए केसों की रफ़्तार रोक ली जाय तो इनके 14 दिन पूरे होने पर 19 जुलाई के बाद एक्टिव केसेस तेजी से कम होंगे .
मृतकों
की संख्या अभी भी शून्य है , जो इसे एक विशेष दर्जा देती है. पर कहीं ये लोगो के ओवर कॉन्फिडेंस का
कारण न बन जाए. भगवान न करे .
पिछले
हफ्ते के उभरते हुए योद्धा दिल्ली
ने इस हफ्ते भी दिल जीत लिया! 4 जुलाई को एक्टिव
केसेस 25940 थे जो और घटकर 11 जुलाई को
19895 रह गए हैं.
लद्दाख का लाख - लाख
शुक्रिया . पिछले हफ्ते के टॉप टेन वाले इस राज्य ने चीन को भी धकेला और कोरोना को
भी . इसके एक्टिव केसेस का ग्राफ देख कर ऐसा लगता है जैसे गलवान की घाटी की ढलान हो .
इस
हफ्ते हमारी लिस्ट में अंडमान
और निकोबार भी जुडा है. यहाँ सुधार का कारण अन्य क्षेत्रों से अलग है. यहाँ नए केस आने की रफ़्तार
कम हुई है. ये एक बहुत बड़ी बात है क्योकि पुराने केस तो सिर्फ 14 दिन के ही मेहमान
होते हैं.
पिछले
हफ्ते के टॉप टेन वाले एक अन्य राज्य हिमाचल प्रदेश की बात करें तो इस हफ्ते 8 जुलाई से, केसों के 10 दिनों से लगातार घटने का सिलसिला रुक गया .पर अगले ही दिन
उसे सम्हाल लिया गया और पिछले 3 दिनों से केस फिर कम होने
लगे हैं.यहाँ पिछले 7 दिनों में एक भी मौत नहीं हुई है. पूरे
राज्य को मिलाकर भी एक्टिव केसेस की संख्या केवल 264 है जो एक अच्छी बात है.
टॉप
टेन वाले दुसरे राज्य मणिपुर
में भी सुधार का रुझान है .पर सिर्फ 651
एक्टिव केसेस वाले इस राज्य में 10 जुलाई को अचानक एक साथ 132 केसों के आ जाने से
रिकार्ड में दाग लग गया .हालांकि बाद के रुझानों से ये एक तात्कालिक अपवाद प्रतीत होता है. देखें आगे के 3-4 दिन क्या इसकी
पुष्टि करते हैं ? वहाँ का स्वास्थ्य विभाग इसे गंभीरता से लेकर संक्रमण के सूत्र ढूँढने में लग गया है.
टॉप टेन वाले अगले राज्य सिक्किम में भी मणिपुर जैसी ही घटना हुई . सिर्फ 41 एक्टिव केसेस वाले इस राज्य में 11 जुलाई को
अचानक एक साथ 26 नए केस आ गए हैं. आने वाले 3-4 दिन बताएंगे कि क्या ये भी एक तात्कालिक
अपवाद है? फिर भी, पुरे राज्य में सिर्फ 67 एक्टिव केस होना ये बताता है कि स्थिति
को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है .
टॉप
टेन वाला अगला राज्य तमिलनाडु, 46863 एक्टिव
केसों की भारी फ़ौज से एक हफ्ते पूरी
बहादुरी से लड़ा और अब उसके एक्टिव केस 46413 पर आ गए हैं.
कमी बहुत नहीं है पर कमी का होना बहुत बड़ी बात है .
ये
तो था राज्यों के बारे में . अब देश के बारे में बात करें तो निम्नलिखित अच्छे
बातें दिखती हैं :
1. अस्पताल में जो लोग भर्ती
हुए उनमे से स्वस्थ होकर घर वापस जाने वालो और मरने वालो का अनुपात अब 96:4 का हो
गया है.
2. धारावी जैसे अभेद्य दुर्ग में भी कोरोना योध्धाओं ने सेंध लगा दी है . यह बताता है की देश अभी भी मजबूत है और कोरोना कमजोर .
Wonderful analysis
ReplyDeleteInsightful, interesting, inspiring... Kudos to you for the great work Sir.
ReplyDeleteतात्पर्य यह है कि अभी काफीलंबे समय तक हमें सतर्क रहना होगा तभी हम कोरोना को मात दे सकेंगे। बहुत अच्छा विश्लेषण। धन्यवाद आपको।
ReplyDeleteGreat weekly analysis sir 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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