पानी को पानी की तरह न बहाएं :कविता : नल बहता है तो बहने दे ..

नल बहता है तो बहने दे

अनिल श्रीवास्तव




नल बहता है तो बहने दे
अफसोस ना कर अवसाद ना धर 
तू फैक्ट्री मे है घर मे नही
पानी के बिल को याद न कर
ये बढ़ता है तो बढ़ने दे

टंकी खाली हो मत रोना
वो फिर से कल भर जाएगी
तू क्यों ऐंठेगा टोटी को 
तेरी उंगली दुख जाएगी 
तेरे हाथ बने है पारस के
इन्हे नल छू कर बरबाद ना कर
नल बहता है तो बहने दे

जब मिर्ची लगे चीनी खाना
जब प्यास लगे आँसू पीना 
हाथों मे कालिख- धूल लगे
बालो मे हाथ फिरा लेना
सूखा सारा ब्रह्मांड है 
फैक्ट्री भी सूखी रहने दे
नल बहता है तो बहने दे


जब शाम को तू घर लौटेगा
तेरा साथ गंदगी जाएगी
तू जिस बच्चे को दुलारेगा
उसे फौरन मितली आएगी
तेरी बीवी तोड़ के सात वचन
मैके का टिकट कटाएगी 
अब तू अपने जीवन को बचा
इसे जल के बिना न जलने दे

पानी का मोल है दुनिया मे
सोने चांदी से हज़ार गुना
बोले कबीर तूने न सुना
जो ये गायब तो सब सूना
इसे रोक ले तू ,इसे रोक ले तू
इसे रोक ले तू- ना बहने दे
नल बहता है
नल बहता है
नल बहता है
नल बहता है ना बहने दे .


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