शेक्सपियर :आज करो शादी वरना कल दुनिया आधी Sonnet 1


शेक्सपियर ने एक कविता लिखी From fairest creatures we desire increase .

मूल कविता इस प्रकार थी  :


From fairest creatures we desire increase,

That thereby beauty’s rose might never die,
But as the riper should by time decease,
His tender heir might bear his memory:

But thou, contracted to thine own bright eyes,
Feed’st thy light’st flame with self-substantial fuel,

Making a famine where abundance lies,
Thyself thy foe, to thy sweet self too cruel.
Thou that art now the world’s fresh ornament
And only herald to the gaudy spring,
Within thine own bud buriest thy content
And, tender churl, makest waste in niggarding.

 Pity the world, or else this glutton be,
 To eat the world’s due, by the grave and.

 

इस कविता में कवि ये चिंता व्यक्त कर रहा है कि  आज के नौजवान शादी नहीं कर रहे और अकेले रहकर उन्मुक्त जीवन बिता रहे हैं . उनके ऐसा करने से नई  पीढ़ी पैदा नहीं होगी और आज दुनिया में जितने सुन्दर-सुन्दर  लोग दिख रहे हैं वे कल नहीं दिखेंगे .

अतः इस कविता के माध्यम से कवि नौजवानों को विवाह करने और संतान उत्पन्न करने की गुजारिश  कर रहे हैं .जैसा के आप आगे जानेंगे इस प्रकार से साँनेट्स को “मैरेज सांनेट्स “का नाम दिया गया .

अंत में वे यहाँ तक कहते हैं कि नौजवान एक कब्र की तरह बर्ताव कर रहे हैं क्योकि कब्र अपने अन्दर की  चीज ( लाश) को खा जाती है और उसे भविष्य के लिए नहीं रहने देती.

मेरे द्वारा इसका हिन्दी काव्य रूपान्तरण इस प्रकार किया गया है :

सानेट न.

 

वारिस की गुजारिश  

 

सुन्दर  प्राणियों से हम हैं

संतानों की आस लगाए

कभी गुलाब सौंदर्य का

सदा के लिए मुरझा पाए 

 

जब अपने दिन पूरे करके

दुनिया से कोई जाए

उसके बच्चे  की सूरत

उसकी यादें रखे  बचाए

 

नौजावाँ तुम  खुद से खुश

तुमको  औरों से क्या लेना

अपनी चमकीली  आँखों  तक

सिमटी तुम्हारी दुनिया

 

 

 

तुम दिल का दीप जलाते हो

आत्मतुष्टि के इंधन   से

अकाल अकारण ला रहे

जब हाथ भरे हैं हर  धन से

 

अपने ऊपर ही अति निर्मम

लगते हो  खुद के ही  दुश्मन

नवयुवक तुम   नव आभूषण

इस धरती के सुन्दर तन के

तुम ही तो हो अग्रदूत

नव  वसंत के आगमन के

तुमसे उपेक्षित हो रहा

संतानन  का दायित्व महान

 

कलिका में हो रहा समाधित

 

नव -परागन का  सामान

 

प्यारे नन्हे नादान  सुन

कल तू बड़ा पछताएगा

तू आज सहेज रहा जो धन

वो कल बर्बाद  जाएगा 

 

दुनिया पर कुछ

रहम दिखाओ

एक जनम लिया

एक देकर जाओ

वरना भुक्खड़ कहलाओगे

कब्र की संज्ञा पाओगे

बोलो क्या खाती है कबर

भविष्य  की धरोहर .

कुछ जानकारी

·        विलियम शेक्सपियर ने कुल 154 साँनेट्स लिखे हैं .

·        अंगरेजी साहित्य में छोटी कविताओं को साँनेट्स कहते है .

·        शेक्सपियर के साँनेट्स 14 लाइनों वाले होते थे .इनमे पहले 4-4 लाइनों के 3 क्वार्टरेन ( जिन्हें  हम चौपाई कह सकते है और अंत में 2 लाइन का एक कपलेट जिसे हम दोहा कह सकते हैं , होता था .

·        जहां तक तुकबंदी का सवाल है ,हर क्वार्टरेन की पहली लाइन तीसरी से और दूसरी लाइन चौथी से मिलती थी जिसे abab पैटर्न कहा जाता है .


 

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